वीरांगना बन जाओ बिटिया....

girl practicing karate
नाजुकता अब छोडो बिटिया,
वीरांगना बन जाओ ना ।
सीखो जूडो और करांटे,
बल अपना फिर बढाओ ना ।

भैया दण्ड-पेल हैं करते,
तुम भी वही अपनाओ ना ।
गुड्डा-गुड्डी  खेल छोड़ तुम
वीरांगी बन जाओ ना ।

मात-पिता की चिन्ता हो तुम,
रूप नया अपनाओ ना ।
खेलो दंगल बवीता सा तुम,
देश का मान बढाओ ना ।

छोड़ो कोमलता भी अपनी ,
समय को मात दे जाओ ना ।
रणचण्डी,दुर्गा तुम बनकर,
दुष्टों को धूल चटाओ ना ।

निर्भया ज्योति थी माँ-पापा की ,
तम उनका भी मिटाओ ना ।
ऐसे दरिन्दो का काल बनो तुम ,
इतिहास नया ही रचाओ ना ।

अब कोई भी कली धरा पर ,
ऐसे रौंदी जाये ना ।
बीज पनपने से पहले ये ,
भ्रूण में कुचली जाये ना ।

दहेज के भिखमंगों को भी,
बीच सडक पर लाओ ना ।
बहू जलाने वालों के घर-
आँगन आग लगाओ ना ।

वीरांगना बनो तुम बिटिया
सम्बल होगा देश अपना ।
उत्कृष्ट भविष्य के नव-निर्माण से,
होगा पूरा तेरा हर सपना ।


चित्र ; साभार गूगल से...


टिप्पणियाँ

गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर बिटियों का होंसला बढ़ाती अनुपम भेंट।
मन की वीणा ने कहा…
बेटियों को ओज भरा आह्वान करती सुंदर सार्थक रचना सुधा जी प्रेरणादायक सृजन।
Sudha Devrani ने कहा…
हार्दिक धन्यवाद भाई!
Sudha Devrani ने कहा…
हृदयतल से धन्यवाद, कुसुम जी!
Ritu asooja rishikesh ने कहा…
बहुत ही सुन्दर रचना बेटियो का उत्साह वर्धन सुधा जी
बहुत ही सुंदर रचना...आज के समय की माँग यही है....
Jyoti Dehliwal ने कहा…
निर्भया ज्योति थी माँ-पापा की ,
तम उनका भी मिटाओ ना........
ऐसे दरिन्दो का काल बनो तुम ,
इतिहास नया ही रचाओ ना ।
आज के समय के मद्देनजर बहुत ही सटीक रचना सुधा दी।
Sudha Devrani ने कहा…
हार्दिक धन्यवाद रितु जी!
Sudha Devrani ने कहा…
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार नैनवाल जी!
Sudha Devrani ने कहा…
तहेदिल से धन्यवाद, ज्योति जी!

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